लेखनी कहानी -09-Aug-2024
शीर्षक - मेरा भाग्य और कुदरत के रंग.... एक सच
आज आकाश और आरती दोनों बहुत खुश थे। क्योंकि दोनों की खुशी का कारण आरती के पेट में आकाश का बच्चा जन्म लेने के लिए कुछ दिनों में ही एक नई दुनिया में आने वाला था और आज ही के दिन आकाश और आरती 1 साल पहले एक हुए थे आकाश और आरती एक बगीचे की बेंच पर बैठे हुए बातें करते हैं तभी आरती रहती है आकाश मैं तुम्हारी गोदी में कर रख कर लेट जाऊं आकाश कहता है हां क्यों नहीं और आकाश बेंच पर एक कोने की और सब जाता है और आरती आकाश की टांगों पर सर रखकर लेट जाती है और आकाश उसकी बालों में उंगली करते हुए और उसके उभरे हुए पेट को हाथ से सहलाते हुए। यह हम दोनों के प्यार की निशानी है। हंसते हुए पूछती है तुमको क्या चाहिए बेटा या बेटी आकाश मुस्कुराते हुए आरती की बालों में उंगली फिर क्यों कहता है मुझे तो तुम्हारी तरह सुंदर सी बेटी चाहिए जो की मेरा तुम्हारी तरह ख्याल रखें नहीं नहीं मुझे तो बेटा चाहिए मुझे तुम्हारी तरह देखभाल करने वाला अच्छा बेटा चाहिए।
पार्क में एक आइसक्रीम बेचने वाला आंटी आइसक्रीम ले लो । आकाश और आरती उस आइसक्रीम बेचने वाले को देखते हैं। एक छोटा सा मासूम कम उम्र का एक लड़का घुंघराले बाल और फटी पेंट और शर्ट पहनी आइसक्रीम के ठेले को धकेलता हुआ उनकी तरफ आकर खड़ा हो जाता है आकाश कौन सी आइसक्रीम खाओगी आरती मैं तो स्ट्रॉबेरी की आइसक्रीम खाऊंगी तब आकाश कहता है बेटा आपका नाम क्या है वह कहता है मेरा नाम वैसे तो अमन है परंतु कोई ए कोई ओ बुलाता है। और कुछ लोग मुझे छोटू भी कह कर बुला लेते हैं। कोई बात नहीं अमन तुम हमें दो स्ट्रॉबेरी की आइसक्रीम दे दो अमन झट से ठेले में से दो आइसक्रीम स्ट्रॉबेरी निकाल कर दे देता है । और आकाश उसे ₹100 का नोट निकाल कर दे देता है और वह अमन आवाज लगता हुआ आइसक्रीम वाला आइसक्रीम वाला आगे की ओर चला जाता है और दूसरे खरीदार को उसकी नजर में ढूंढ रही होती है।
आरती कितना मासूम चेहरा और छोटी उम्र में इतना काम कर रहा है इतना भारी ठेला खींच रहा है आकाश हर इंसान का अपना भाग्य और कुदरत के रंग होते हैं यह एक सच है। जीवन में किस पल क्या होना है यह हम तय नहीं करते हैं। वो ऊपर बैठा नीली छतरी वाला तय करता है और फिर आरती और आकाश आइसक्रीम की चुस्की लेने लगते हैं और आरती उठकर बैठ जाती है आकाश जरा ध्यान से उठाना हां हां बाबा मैं जानती हूं कि मैं एक नहीं दो जान हूँ।
पार्क में ठंडी हवा चल रही होती है और आकाश और आरती आइसक्रीम का पूरा मजा ले रहे होते हैं। शाम हो चली होती है और आकाश और आरती दोनों उठकर अपने घर की ओर चल देते हैं आकाश आज तुम खाना क्या बना रही हो आरती कहती है यह तो घर पहुंच कर फैसला लूंगी। कि घर में मुझे क्या बनाना है आकाश कहता है अगर तुम्हें ज्यादा कोई परेशानी हो तो मैं होटल से ले आता हूं। आरती रहती है नहीं नहीं अभी ऐसी कोई जरूरत नहीं है मैं ठीक हूं और आरती और आकाश घर पहुंच कर आकाश फ्रेश होने चले जाता है आरती किचन में जाती है और चावल की बिरियानी बनाने के लिए तैयारी करती है।
दरवाजे की डोर बेल बजती है और आरती आकाश से कहती है देखो जरा कौन है हां ठीक है मैं देखता हूं आकाश घर का दरवाजा खोलता है। तब सामने आरती की बहन ज्योति खड़ी थी अरे ज्योति तुम हां जीजू में कहां है मेरी दीदी वह किचन में कहकर आकाश दरवाजा बंद करता है और ज्योति किचन में अपनी दीदी के पास पहुंच जाती है अरे ज्योति तो आरती बोलती है बिना बताए बिना इनफॉरमेशन दिए बस दीदी ट्रेन पकड़ी और आपके शहर में कैसे आना हुआ तुझे ज्योति मैंने एक गवर्नमेंट सर्विस का एग्जाम दिया था उसी का कल इंटरव्यू है और शायद में यही इसी शहर में अधिकारी बन जाऊं। हां हां क्यों नहीं मेरी तो शुभकामनाएं अभी से तेरे साथ है और सुबह तेरे जीजा जी तुझे वहां छोड़ आएंगे जहां तेरा इंटरव्यू है जा जाकर फ्रेश हो जा तेरे जीजा जी के लिए बिरयानी बना रही हूं तो तेरे चाय बनाती हूं। नहीं दीदी तुम बैठो मैं चाय खुद बना लूंगी तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है। चल पगली अभी तो मैं ठीक हूं जब टाइम समय होगा तब तो सब काम तूझे ही करना होगा।
आरती चाय और बिरयानी लेकर टेबल पर आ जाती हैं। बहुत बढ़िया दीदी बिरयानी और चाय मजा आ गया वहां क्यों नहीं मन भर कर खा बहुत बनाई है। बातों के साथ-साथ चाय बिरयानी आरती ज्योति और आकाश खाते हैं और बेडरूम में चली जाती है और आकाश नाइट शिफ्ट में अपनी ड्यूटी पर चला जाता है ज्योति वहीं ड्राइंग रूम में सोफे पर सो जाती है। सुबह आकाश आता है तो ज्योति दरवाजा खोलती है अरे ज्योति तुम दीदी कहां तुम्हारी दीदी अभी बेडरूम में सो रही है शायद रात ज्यादा थक गई थी हां हां उसकी तबीयत भी तो ऐसे ही है। ज्योति तुम्हारा इंटरव्यू कहां है जीजा जी यही की एक डीएम कार्यालय में है ठीक है वह तो हमारे घर के ठीक सामने ही है कुछ दूरी पर है। मैं मैनेज कर लूंगी आप परेशान मत होना नहीं नहीं मैं साथ चलूंगा अब तो मैं आ गया हूं तुमने नाश्ता वगैरह कर लिया। मैं भी नाश्ता चाय बना लेती हूं आप भी फ्रेश हो जाओ दीदी को भी उठा दो। ऐसा कहकर ज्योति किचन में चली जाती है और चाय और ब्रेड सैंडविच बनाकर ज्योति ले आती है बेडरूम से आरती की कराहने की आवाज आती है।
आकाश ज्योति बेडरूम की ओर जाते हैं। दीदी क्या हुआ अरे कुछ नहीं पगली बस उठ रही थी थोड़ा सा पैर में लचक आ गई। दीदी संभाल कर चला करो ना हां हां ठीक हूं अब आओ नाश्ता करते हैं फिर ज्योति को जाना भी है आरती ज्योति आकाश नाश्ता करते हैं फिर आकाश ज्योति को उसके इंटरव्यू की जगह छोड़ आता है। और ज्योति आकर एक खुशखबरी देती है कि उसका इंटरव्यू पास हो गया है और उसे इसी शहर में डीएम की ऑफिस में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गई है आरती कहती है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच है मेरी सहयोगी मेरी बहन और मेरा पति मेरे साथ है।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
hema mohril
07-Feb-2025 07:06 AM
v nice
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